आपकी हालत भी कहीं मंदिर के घंटे जैसी तो नहीं है !
मंदिर के घंटे की आवाज
कानों को बहुत ही मधुर लग रही थी, आरती के समय तो यह और जोर-शोर से आने लगी और घंटे
की आवाज सुन ऐसा लग रहा था की लोगों की यह हाजरी भगवान के दरबार में शायाद आखरी हाजरी
है, घंटे की आवाज समय के साथ बढने लगी थी, शायद सब लोग अपनी सारी ताकत का प्रदर्शन
बारी-बारी से घंटे पर करने लगे थे, घंटे की आवाज बुलंद थी, जबरदस्त थी और एक घंटे के
चोट पर सबकी हाजरी बारी-बारी से भगवान के दरबार में लग रही थी, कुछ घंटे को बजा के
निकल चुके थे और कुछ घंटे पर पिले पड़े थे, माहोल बहुत ही भगवन्मय था, श्रद्धा चरम पर
थी, हाजरी बेहिसाब थी.....सब घंटे पर अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे और इन सबके बीच ‘एक’ बेजान था जो अपने दर्द को ब्यान
किए बगैर चुपचाप लोगों की श्रद्धा, लोगों की हाजरी, लोगों के मजे और ताकत की भेंट चढ़ रहा था....!
वो ‘एक’ कौन था ?
वह कोई और नहीं वह मंदिर
का ‘घंटा’ था जिस पर सब अपनी ताकत, अपनी शक्ति का अपार, प्रचुर प्रदर्शन कर रहे थे,
आते-जाते-बजाते जा रहे थे और वह चुपचाप लोगों की श्रद्धा, हाजरी, उनकी ताकत का शिकार
हो रहा था, जिसका भी बस चल रहा था वह उसे बजा रहा था, बच्चा हो या बड़ा, जिनका हाथ उस
तक पहुँच रहा था वो भी और जिनका हाथ उस तक नहीं पहुँच पा रहा था वह भी उछल-उछल कर उसको
बजा रहे थे और मजे ले रहे थे, अब मंदिर का घंटा बेजान हो चुका था, चूर-चूर हो चूका था और
फिर तैयार था बजने के लिए अगली आरती के समय !
मंदिर के घंटे का जो हाल
था कहीं वही हाल आपका भी तो नहीं है, कहीं आप भी मंदिर के घंटे की तरह किसी की ताकत
का, किसी के मजे का, किसी की हाजरी का, किसी की श्रद्धा का, किसी के अति-उत्साह
का शिकार तो नहीं हो रहे, कहीं बेवजह कोई भी आते-जाते आपको बजा तो नहीं रहा, आपकी हालत
भी कहीं मंदिर के घंटे जैसी तो नहीं है !
किसी को खुश करने के लिए,
किसी के दरबार में अपनी हाजरी लगाने के लिए कहीं आपको कोई अपना जरिया तो नहीं बना रहा,
कहीं ऊपर आने के लिए कोई आपको सीड़ी की तरह इस्तेमाल तो नहीं कर रहा, आप मंदिर के घंटे
की तरह बेवजह तो नहीं बजाए जा रहे अगर ऐसा है तो आज ही अपनी घंटे वाली छवि से बाहर
निकलें और बिना वजह बजने की बजाए अपने आत्मसम्मान को ज़िंदा रखें और किसी की महत्वाकांक्षओं
का शिकार कतई न हों !
ध्यान रखें किसी के मजे
के लिए, किसी के आनन्द के लिए कहीं आप मंदिर के घंटे तो नहीं बने हुए हैं की जो कोई
भी आए आपको बजाए, तो आज ही अपने को इन सब से बाहर निकाल लें किसी के मजे का शिकार न
हों, आपकी अपनी एक पहचान है, आपका अपना एक वजूद है इसे कायम रखें !
मेरी श्रद्धा है सहाब,
मुझे तो बजाना है इसलिए में तो आपको बजाऊंगा यह कौन सी बात हुई की बस बजाना है, भई बजाना है तो खुद बजो दम रखते हो तो खुद बजकर
दिखाओ अपनी आवाज लोगों तक पहुंचाओ, अपने को सबके बीच दिखाना है, लोग मुझको देखें तो
जनाब खुद इस काबिल बनो की लोग आपकी कबिलियि़त, आपकी हिम्मत, आपकी अहमियत के दीवाने
बनें न की किसी और की काबिलियत की बैसाखियों का इस्तेमाल कर, किसी को बजा कर आगे बढें
! बजाने से बेहतर है बाजिए ताकि आपकी आवाज, आपकी काबिलियत दूर तलक जाए !
कोई भी अपनी ताकत का प्रदर्शन
के लिए लोगों को अपनी ताकत दिखने के लिए कहीं आपको अपना शिकार तो नहीं बना रहा, अपनी आवाज दूर तक पहुंचाने के लिए अपनी खुद बजने की बजाये कहीं आपको तो नहीं बजा रहा ठीक उसी तरह जिस तरह मंदिर के
घंटे को जब-तब कोई भी बजा देता है, और अपनी का सारा प्रदर्शन उस पर दिखाता है और वह बेजुबान बन चुप-चाप दूसरे की ताकत का शिकार होता रहता है और सब कुछ सहता
रहता है ! कोई आपको अपनी ताकत का शिकार करे और आप उसका शिकार होते रहे उससे बेहतर है की आप अपने स्टार को, अपने सम्मान को, अपने कद को इतना बढ़ा दें की कोई भी आप पर ताकत दिखाने से पहले उन्हें अपने स्तर को, अपने कद को बढ़ाना पड़े और तब जाकर वह इस काबिल हों की आपके स्टार, आपके कद पर आकार आपसे बात करे, न की आता-जाता कोई भी आपको
बजाता जाए !
आप अपनी कीमत पहचानिए !
आप अमुल्य हैं, आप अतुलनीय हैं, अपने आप को सस्ते
में कभी न बेचें !
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