स्वछता के चार चरण (4S यानि 4 स्टेप्स )
स्वछता के चार चरण (4S यानि 4 स्टेप्स )
१) अपने भीतर की सफाई:
मन की सफाई…...मन
से, भीतर उतर कर......भीतर की सफाई, जो भी मैल मन में हो उसको साफ़ करें…..समय-समय से उसको हटाएँ
अधिक दिनों तक न जमने दें ! अपनी आँखों के आगे की मैल साफ़ करें.....शीशा नहीं ताकि
आपको चीजें साफ़ दिखाई दें सकें, अपने नजरिये को बदलिए तो बाहर के नज़ारे अपने आप ही
बदले-बदले नजर आयेगें ! जब आपका मन स्वच्छ हो और विवेक आपका काम कर रहा हो तभी यह
समझ आप पैदा कर पायेंगे की क्या करना है, और क्या नहीं.......क्या उचित है , क्या नहीं
!
स्वछता का
यह प्रथम चरण है, किन्तु इस अभियान का और इस महायज्ञ का सबसे मजबूत और बेहद जरुरी
चरण यही है , इसी चरण की सफलता पर आपकी आगे की सफलता निर्भर करेगी ! इसलिए सबसे
ज्यादा जरुरत इस चरण का ध्यान देने की है.....और वो भी किसी और को नहीं सिर्फ और सिर्फ
आपको !
२) अपने शरीर की सफाई:
यह सफाई
का वह चरण है जो आपके बाहरी स्वरूप को साफ़ करेगा जो औरों को दिखेगा, आप अगर भीतर
से स्वच्छ हैं और बाहर से नहीं, तो खुद आपको भी, आपका यह स्वरूप पसंद नहीं आएगा
इसलिए जैसे आप भीतर हैं, बाहर भी वैसे ही दिखें ! समय समय पर और सही समय पर अपने
तन को भी स्वच्छ रखें और स्वस्थ रहें !
स्वच्छ तन
में ही...स्वच्छ मन का वास होता है !
३) अपने आस-पास की सफाई:
इस चरण की
सफाई में आपको यह ध्यानं रखना होगा की आपके द्वारा आपके आस-पास कोई गंदगी न हो, आप
अपने आपको रोकिये और जहान-तहां कचरा न फलाएं, न भोतिक रूप से न ही मानसिक रूप से
यानि की आप कचरे को कम करें, ताकि वातावरण शुद्ध हो.....आप से लोग कुछ सीखें , न की
आपको हर समय कोई सिखाता रहे की क्या करें और क्या नहीं ! लेकिन अगर आपका प्रथम चरण
मजबूत है तो आपको स्वत: ही यह ज्ञान रहेगा की अपने आस-पास के वातावरण को कैसे
स्वच्छ रखना है !
अपने साथ-साथ,
अपने आस-पास की सफाई का भी विशेष ध्यान रखें !
४) अपने कार्य-स्थल की सफाई:
आप जहां
है जिस कार्य-क्षेत्र में हैं, जहाँ आप काम कर रहें हैं उसको साफ़-सुथरा रखें, और अपने
आस-पास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें, सफाई सब को पसंद है बस लोगों को उसका आभास कराने की जरुरत है की इसकी कितनी उपयोगिता है, आपक के भीतर की सफाई का प्रथम चरण हर जगह प्रतिबिम्बित होना चाहिए तभी
उसकी सार्थकता और सफलता है !
यदि
उपरोक्त चार चरण आप अपनी तरफ से पूर्ण कर रहें हैं, और इन स्थानों को साफ़-सुथरा रख
रहें हैं......तो निश्चिंत हो जाइए आपका गाँव, आपका क़स्बा या शहर स्वत:
ही स्वच्छ व सुंदर दिखेगा बिलकुल आपकी तरह.....क्योंकि
उपरोक्त स्थानों से मिलकर ही आपका शहर या गाँव बनता है, यानि आपसे और आपके आस-पास
से मिलकर....!
अपनी आंतरिक
और बाहरी स्वछता के अभियान का श्री गणेश आप से ही शुरू होगा, किसी और का या किसी मुहर्त का इंतजार न करें !
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