हार की या जीत की कोई मात्रा या कोई unit नहीं होती !
जब आप यह कहतें हैं कि वो जीत गया तो इसका मतलब आप ने समय से पहले हार मान ली और जब आप यह कहतें हैं कि मैं हार गया तो इसका मतलब है कि आप ने समय को जीतने का समय ही नहीं दिया !
आप की सोच आपका नजरिया आप की हार और आप की जीत को परिभाषित करते हैं, हार की या जीत की कोई मात्रा या कोई unit नहीं होती, आप उसको माप नहीं सकते और अगर मापने या नापने का प्रयास करते हैं तो वह माप या नाप आपके नजरिए का, आपकी सोच को प्रतबिम्बितकरता है न की आपकी हार या जीत को !
आपको आपके अलावा कोई और नहीं हरा सकता, आपकी जीत भी तभी तक आपकी है जब तक की आप ऐसा समझतें हैं और जिस दिन आपने अपने आप को हारा हुआ समझ लिया, हारा हुआ मान लिया उसी क्षण से जीत आपका साथ छोड़ देगी, क्योंकि जीत और हार एक ही सिक्के के दो अलग-अलग पहलु हैं जो कभी भी एक साथ नहीं रह सकते अगर आप एक को ऊपर करेंगें तो दूसरा नीचे की तरफ ही रहेगा, यानी जिस दिन तुमने हार मान ली या हार को ऊपर कर दिया जीत तुम्हारा साथ छोड़ देगी और अगर जीत को तुमने थामे रखा तो वहाँ हार के लिए कोई जगह नहीं होगी !
अगर आप अपने अंदर जीत का पोषण करोगे तो हार उस जगह कभी नहीं टिकेगी, कभी नहीं पलेगी-बढ़ेगी, जीत-हार कोई क्रिया या प्रक्रिया नहीं है बल्कि यह पूरी तरह आपके नज़रिए-आपकी सोच पर टिकी है !
आप अपने नजरिए में अपनी सोच में सकारात्मकता की, जीत की नींव रखेंगें, जीत के बीज बोएंगें तो तय है उस नींव पर जीत की इमारत ही खड़ी होगी, उस पर जीत की सफलता की फसल ही लहलहलाएगी, इसलिए अपनी सोच और नज़रिए में सदा सकारात्मकता की खाद डालते रहे और सकारात्मकता से सींचतें रहें !
आपका नज़रिया ही आपकी जीत और हार का पैमाना है....!
किश्तियाँ बदलने की जरूरत नहीं दोस्त,
दिशाएँ बदलेंगें तो किनारे बदल जाएंगें,
नज़ारे बदलने की जरुरत नहीं दोस्त,
नजरिया बदलेंगें तो नज़ारे बदल जाएंगें.....!
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