अपने दुखों की गठरी दूसरों पर थोपने से बेहतर, अपने दुखों का मुकाबला करें और अपनी ताकत अपने दुखों की गठरी को छोटा करने में लगाएं !

यह कोई कहानी नहीं यह एक हकीकत है जो कभी न कभी हम सब क साथ घटी होगी या फिर घट रही होगी….!


एक आदमी अपने घर से एक गठरी ले कर निकला, दिमाग में हलचल और चिंता 'आज इस गठरी को किसी न किसी को दे कर ही घर आऊंगा' घर की सीढ़ियां उतरते हए उसके मन में बहुत सवाल थे जिसके जवाब उसे मिलेंगें या नहीं इसका उसे पता नहीं था, कार की पिछली सीट पर उसने अपनी गठरी रखी और कार स्टार्ट कर चल दिया, मुख्य सड़क पर आते ही एक ट्रैफिक पुलिस वाले ने उसकी कार को साइड में लगाने का इशारा किया, व्यक्ति ने कार साइड में लगाई और पुलिस वाले से रोकने का कारण पूछा, 'अपनी गाडी के कागज दिखाओ' "कागज़, वह तो मेरे पास नहीं हैं", पुलिस वाले ने आँखें दिखाते हुए कहा "तो जनाब गाडी से बाहर निकलिए और आगे जाना चाहते हैं तो पैसे निकालिए ", व्यक्ति बोला लेकिन वो भी मैं ले कर निकलना भूल गया, हाँ....किन्तु  मेरे पास एक गठरी जरूर है उसको आप लेना चाहेंगें तो मैं आपको ख़ुशी-ख़ुशी दे दूंगा, मैं उसको देने ही निकला हूँ, पुलिस वाले ने इधर-उधर देखा कहा "निकालो, जल्दी से पकड़ाओ इसे", गठरी बगल में दबाते हुए उसने पूछा इसमें क्या है, आदमी ने जवाब दिया "यह मेरे जिंदगी भर के दुखों की गठरी है में चाहता हूँ जल्दी से जल्दी अपने सिर से इस बोझ को उतार दूँ और मुक्त हो जाऊं", पुलिस वाले ने आव देखा न ताव फट से गठरी को कार के अंदर फेंका और कहा-"भाई तू इस गठरी को अपने पास ही रख, तेरी गठरी तुझे ही मुबारक" ऐसा कह पुलिस वाला वहां से चलता बना !


आदमी ने अपनी कार स्टार्ट
की और आगे को बढ़ गया वह थोड़ा ही आगे निकला तो उसे सामने से आता हुआ एक भिखारी मिला, उसने अपनी गठरी उसको देने के लिए झट से गाडी रोक दी, भिखारी ने कार रुकते ही  कुछ मांगने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा  दिया, तुरंत ही आदमी ने अपनी गठरी उसे थमा दी भिखारी वजनदार गठरी संभालते हुए आदमी को आशीर्वाद देते हुए बोला आप को कभी कोई दुःख न हो, आप हमेशा खुश रहे, आदमी बोलै "सही बोलते हो भाई मैनें वैसे भी अपने सारे दुखों की गठरी तुम्हें सौंप दी है, इसलिए मेरे सारे दुःख अब कट गए", भिखारी ने जब यह सुना तो फट से गठरी आदमी को वापिस थमा दी, और बोलै 'माफ़ करना भाई  मैं कुछ भी ले सकता हूँ पर दूसरे के दुःख नहीं' यह कह कर भिखारी आगे बढ़ गया !

कहने का मतलब यह है की अपनी ताकत अपने दुखों को दूसरों में बांटने से बेहतर है अपनी ताकत अपने दुखों को कम करने में लगाएं, जिसमें हो सकता है आपको कम ताकत लगानी पड़े....एक बार प्रयास करके तो देखिये !


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